सीमित आयवाले उपभोक्ताओं के व्यवहार पर खुशबू को पीएचडी
जयपुर। प्रबंधन छात्रा खुशबू राज ने शोध में पाया की सीमित आय वाले उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति बेशक कम होती है। लेकिन समूह के रूप में यह बेहद मजबूत होती है। 
खुशबू राज ने यह तथ्य मार्केटिंग मिक्स स्ट्रेटजी एंड इट्स इम्पेक्ट ऑन कंज्यूमर बिहेवियर ऑफ बॉटम ऑफ पिरामिड विषय पर किए शोध में बताएं है। इस विषय पर खुशबू को राजस्थान विश्वविद्यालय ने पीएचडी की उपाधि प्रदान की है। उन्होंने आर ए पोद्दार इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के पूर्व निदेशक प्रो हर्ष द्ववेदी के निर्देशन में शोध कार्य किया है।
 खुशबू राज ने रिसर्च में प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए अपनाई जाने वाली रणनीतियों का भी अध्ययन किया हैं। इसके मुताबिक प्रोडक्ट की क्वालिटी, उसकी कीमत, उत्पाद की उपलब्धता का स्थान और विज्ञापन का तरीका प्रोडक्ट के प्रति उपभोक्ता के रुझान को प्रभावित करता है। इससे प्रोडक्ट की विश्वसनीयता भी बढ़ती है। शोध में हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी जैसी पर्सनल केयर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों को आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए अपनाई गई स्ट्रेटजी तथा केस स्टडी का अध्ययन किया गया है। शोध में पाया गया है कि सीमित आय वाले एवं ग्रामीण उपभोक्ता में  पर्सनल केयर प्रोडक्ट की मांग तेजी से बढ़ रही है। रिसर्च में यह भी पाया कि उपभोक्ताओं द्वारा की जाने वाली खरीद में प्रोडक्ट की विशेषता, उसकी क्वालिटी के प्रति जागरूकता तथा कीमत महत्वपूर्ण होते हैं।
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