जयपुर। संस्कृत भारती द्वारा आयोजित गोष्ठी में भारत के उज्जवल भविष्य पर विचार विमर्श किया गया। गोष्ठी संस्कृतभारती के अखिलभारतीय सह संघटन मन्त्री दत्तात्रेय वज्रल्ली के सान्निध्य में हुई।
उन्होंने बताया कि संस्कृतभारती विगत पांच दशकों से समाज में संस्कृत को जनभाषा बनाने का मुख्य कार्य कर रही हैं। जिसमें मुख्य प्रकल्प प्रतिदिन 2 घंटा दश दिवसीय संस्कृत सम्भाषण शिविर होता हैं। संस्कृत में ज्ञान एवं विज्ञान का अनन्त भण्डार है। भारत के उज्जवल भविष्य के लिए संस्कृत आधार का काम करेगी।
इस गोष्ठी में राजस्थान क्षेत्र संघटन मन्त्री कमल शर्मा ने विशेष कार्यक्रम संस्कृत फ़ॉर फ्यूचर (भविष्याय संस्कृतम्) के बारे में अवगत कराया।
कार्यक्रम की कड़ी में जयपुर महानगर में व्यापक स्तर पर एक साथ पृथक-पृथक स्थानों पर 108 शिविरों का आयोजन होगा। जिसके लिए व्यवस्थित तैयारी चल रही है। ये 108 शिविर 10 सितम्बर से 19 सितम्बर पर्यन्त जयपुर शहर के विभिन्न महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों एव विद्यालयों में निःशुल्क रूप से आयोजित किए जायेंगे। इन सभी शिविरों का भव्य समापन कार्यक्रम वृहद स्तर पर परिष्कार महाविद्यालय, शिप्रा पथ, मानसरोवर में 20 सितंबर को किया जाएग।
कार्यक्रम की थीम भविष्याय संस्कृतम् रखी गई हैं। गोष्ठी में उपस्थित कार्यकर्ताओं ने कार्य के सफल संञ्चालन के लिए अपनी अपनी अपनी जम्मेदारी निर्धारित की एवं कार्यक्रम को विशिष्ट बनाने के क्रम में विज्ञान प्रदर्शनी, संस्कृत सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा कार्यक्रम की सफलता पर व्यापक चिन्तन किया। शिविरों के समापन का भव्य कार्यक्रम 20 सितम्बर 2025 को परिष्कार महाविद्यालय में किया जायेगा।