राष्ट्र सम्मत/जयपुर। संस्कार भारती जयपुर प्रांत द्वारा आयोजित ‘‘राष्ट्रीय कला मिलन उत्सव‘‘ के अवसर पर मालवा की प्रसिद्ध देवी अहिल्याबाई पर आधारित नाटक ‘पुण्यश्लोका अहिल्याबाई‘‘ का मंचन किया गया। अहिल्याबाई एक अत्यंत प्रजावत्सल, न्यायदानी, राजनीति निपुण, सादगी की प्रतिमूर्ति शासिका थी। उन्होने अपनी निजी संपत्ति का उपयोग करते हुए भारत भर में 300 से अधिक मंदिरों, कुओं, बावड़ियों और अन्न क्षेत्रों की स्थापना की। उनके जीवन में अनेक पारिवारिक एवं राजनीतिक चुनौतियां आईं किन्तु उन्होंने बड़ी दृढ़ता से सभी का सामना करते हुए अपना धर्म निभाया। इसी को इंगित करता हुआ इस नाटक का सशक्त प्रस्तुतीकरण रहा। इस नाटक का लेखन-निर्देशन संदीप लेले ने किया। नाटक में प्रकाश, पल्लवी, हृदया, विदुषी, सक्षम, समर्थ, गौरव, देव, सुयश, इंद्रपालसिंह, सुरुचि, अंकित, राहुल आदि ने अभिनय किया। गीत गरिमा शर्मा, संगीत श्याम रेड्डी ने दिया। वेषभूषा मंजरी की और रंग सज्जा रवि बांका का और नृत्य संयोजन याशिका का रहा।
अहिल्याबाई नाटक का हुआ सश्क्त मंचन