
दौसा। रामलीला समिति के तत्वाधान में बजरंग मैदान में रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। आज रामलीला मे शूर्पनखा की नाक काटने के दृश्य का मंचन किया गया। सम्पूर्ण मंचन स्थानीय दौसा के भक्तों द्वारा किया जाता है। इस दौरान कलाकारों के अपने अभिनय से दर्शकों को सम्मोहित कर दिया।
आज के मंचन मे शूपर्णखा पंचवटी स्थित राम और लक्ष्मण के अपूर्व सौंदर्य से मोहित हो गई। उसने राजकुमारों से विवाह का प्रस्ताव रखा। राम और लक्ष्मण ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया। वह जिद पर उतर आई। लक्ष्मण ने क्रोध में आकर शूर्पनखा की नाक काट दी। जिससे दर्शकों में रोमांच की लहर दौड़ गई।
शूर्पनखा की प्रतिशोध की कहानी
तिलमिलाई शूर्पनखा ने इस अपमान की खबर अपने भाइयों खर, दूषण, और त्रिसरा को दी। इसके बाद तीनों ने रामजी से युद्ध करने का निश्चय किया। जिसमें राम ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया।
शूर्पनखा, रावण के पास जाकर अपने कटे हुए नाक और कान को दिखाती है। रावण उसकी बात सुनकर क्रोधित हो जाता है। अपने मामा मारीच को अपने षड्यंत्र में शामिल करता है। मारीच सोने के मृग का रूप धारण करके राम, लक्ष्मण और सीता के पास भेजा जाता है।
सीता का हरण और रामजी का विलाप
सीता के कहने पर राम सोने के मृग के पीछे चले जाते हैं। इस दौरान, रावण सीता का हरण कर लेता है और माता जानकी को लंका की अशोक वाटिका में ठहराता है। इसके बाद रामजी का सीता के वियोग में विलाप करते हुए।
आज के मंचन मे शूपर्णखा पंचवटी स्थित राम और लक्ष्मण के अपूर्व सौंदर्य से मोहित हो गई। उसने राजकुमारों से विवाह का प्रस्ताव रखा। राम और लक्ष्मण ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया। वह जिद पर उतर आई। लक्ष्मण ने क्रोध में आकर शूर्पनखा की नाक काट दी। जिससे दर्शकों में रोमांच की लहर दौड़ गई।
शूर्पनखा की प्रतिशोध की कहानी
तिलमिलाई शूर्पनखा ने इस अपमान की खबर अपने भाइयों खर, दूषण, और त्रिसरा को दी। इसके बाद तीनों ने रामजी से युद्ध करने का निश्चय किया। जिसमें राम ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया।
शूर्पनखा, रावण के पास जाकर अपने कटे हुए नाक और कान को दिखाती है। रावण उसकी बात सुनकर क्रोधित हो जाता है। अपने मामा मारीच को अपने षड्यंत्र में शामिल करता है। मारीच सोने के मृग का रूप धारण करके राम, लक्ष्मण और सीता के पास भेजा जाता है।
सीता का हरण और रामजी का विलाप
सीता के कहने पर राम सोने के मृग के पीछे चले जाते हैं। इस दौरान, रावण सीता का हरण कर लेता है और माता जानकी को लंका की अशोक वाटिका में ठहराता है। इसके बाद रामजी का सीता के वियोग में विलाप करते हुए।
शबरी के आश्रम तक पहुंचने का दृश्य मंचित किया गया।
समिति के सचिव राकेश शर्मा ने बताया कि रामलीला में मुख्य यजमान रोहित चायवालास द्वारा भगवान राम की आरती की गई। स्टेज डायरेक्टर रुपेश शास्त्री ने आगे बताया कि 10 अक्टूबर को हनुमानजी का रामजी से मिलन होगा। इसके बाद सुग्रीव से मित्रता की कहानी भी दर्शाई जाएगी, जिसमें बाली वध, सीता माता की खोज और हनुमानजी का लंका में प्रवेश जैसे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का मंचन होगा।
यह रामलीला न केवल धार्मिक भावना को जगाती है, बल्कि दर्शकों को भारतीय संस्कृति की समृद्धि और गहराई से भी अवगत कराती है।
समिति के सचिव राकेश शर्मा ने बताया कि रामलीला में मुख्य यजमान रोहित चायवालास द्वारा भगवान राम की आरती की गई। स्टेज डायरेक्टर रुपेश शास्त्री ने आगे बताया कि 10 अक्टूबर को हनुमानजी का रामजी से मिलन होगा। इसके बाद सुग्रीव से मित्रता की कहानी भी दर्शाई जाएगी, जिसमें बाली वध, सीता माता की खोज और हनुमानजी का लंका में प्रवेश जैसे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का मंचन होगा।
यह रामलीला न केवल धार्मिक भावना को जगाती है, बल्कि दर्शकों को भारतीय संस्कृति की समृद्धि और गहराई से भी अवगत कराती है।