दौसा। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि विद्या सबसे विराट संस्कार है और देशप्रेम सबसे महान संस्कृति। एक छात्र के रूप में हमने जो सीखा आज उसे सेवा के रूप में तन-मन से राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं। आज के छात्रों से भी उम्मीद है कि वे राष्ट्रवाद को सफलता-असफलता से ऊपर रखेंगे।
रविवार को आदर्श शिक्षा समिति दौसा के विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद लक्ष्य स्मृति महोत्सव में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि देश में 30 साल के बाद पहली बार देश और धरती की आवश्यकता के अनुरूप एक नई शिक्षा प्रणाली का सूत्रपात वर्तमान सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया। 30 साल का कालखंड किसी देश, संस्थान या समाज और विशेष रूप से भारत जैसे देश के लिए बहुत बड़ा कालखंड नहीं होता है, लेकिन विज्ञान के प्रभाव के कारण बहुत तेजी से परिवर्तन आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो परिवर्तन सहस्राब्दी में होते थे, वह कुछ शताब्दियों में, जो परिवर्तन शताब्दी में होते थे, वह एक दशक में, जो परिवर्तन कई दशकों में होते थे, वह कुछ वर्षों में होने लगे। ऐसा विज्ञान के चमत्कार के चलते होने लगा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में शुरू की गई नई शिक्षा नीति हमारे देश की आवश्यकताओं के अनुरूप है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी पुरातन पीढ़ी, जिस समय में भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिया गया था, जब दुनिया की सारी सभ्यताएं विकसित होने के रास्ते पर चल रही थीं, जब दुनिया की सारी सभ्यताएं शायद पेड़ की छाल ओढ़कर और पशुओं का वध करके अपना जीवन यापन करती थीं, तब हमारे देश में वेदों की रचनाएं की जा रही थीं, तब हमारे देश में सौरमंडल के सिद्धांतों का सूत्रपात किया जा रहा था, तब हमारे देश में विज्ञान की विभिन्न विधाओं पर विचार विमर्श होता था। यह केवल इसलिए था, क्योंकि उस समय हमारी शिक्षा व्यवस्था विश्लेषण की क्षमता के आधार पर काम करती थी।
शेखावत ने कहा कि हम चाहे कहीं भी काम करें, लेकिन हमारे मन में केवल और केवल एक भाव रहना चाहिए कि हम जहां पर भी हैं, जो कुछ भी कर रहे हैं, वह देश को आगे बढ़ाने के लिए और भारत को उसका सम्मान लौटाने के लिए काम कर रहे हैं। यदि यह भाव हमारे लिए प्रधान रहेगा तो निश्चित रूप से हम सब मिलकर इस महत्वपूर्ण कालखंड में भारत को विकसित, समृद्ध और सशक्त भारत बना पाएंगे।