ब्रज भाषा अकादमी ने सोमवार को मनाया अपना 38वां स्थापना दिवस समारोह
जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के मुक्ताकाशी मंच पर सोमवार को फैली ब्रज संस्कृति की महक ने वहां मौजूद लोगों को अपने मोहपाश में बांध लिया। मौका था राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी के 38वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह का। अकादमी के अध्यक्ष डाॅ. रामकृष्ण शर्मा और सचिव गोपाल लाल गुप्ता ने बताया कि इस मौके पर ब्रज संस्कृति के अनेक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए।
समारोह की शुरूआत विट्ठल पारीक की गाई ब्रज वंदना और भूपेन्द्र भरतपुरी की गाई सरस्वती वंदना से हुई। इसके बाद डीग के भारतीय कला संस्थान के अशोक कुमार शर्मा के निर्देशन में राजस्थान के ब्रज क्षेत्र से आए कलाकारों ने श्रीकृष्ण रास, बम रसिया, शिव तांडव, रसिया नृत्य, चरकुला नृत्य आदि के मन मोहक प्रदर्शन से वहां मौजूद लोगों का दिल जीत लिया। सभी नृत्यों में कलाकारों के परिधान और नृत्यों की दृश्य संरचना देखने योग्य थी। इस मौके पर हिण्डौन के छैल बिहारी पाठक के निर्देशन में कलाकारों ने लांगुरिया नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य के गीत की लय-ताल और नृत्य कलाकारों की भाव मुद्राएं ऐसी थीं कि कार्यक्रम बैठे लोगों के कदम खुद-ब-खुद थिरकने लगे। समारोह की अन्मि प्रस्तुत ऐसी थी मानों ब्रह का पूरा एक खंड मंच पर उतर आया हो। विभिन्न प्रस्तुतियों में शामिल 54 कलाकारों ने एक साथ मंच पर आकर एक सुर और एक लय पर फूलों की होली के जरिए भगवान श्रीकृष्ण के महारास को जीवंत कर दिया।
इससे पूर्व दीप प्रज्वलन के बाद अकादमी के अध्यक्ष डाॅ. रामकृष्ण शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। सचिव गोपाल लाल गुप्ता ने अकादमी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
अकादमी के नए लोगो का हुआ लोकार्पण
समारोह के दौरान आए अतिथियों ने राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी के नए लोगो का लोकार्पण किया।
चार लोगों को दिया ब्रज भाषा सेवा सम्मान
कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व मंत्री डाॅ. बी.डी. कल्ला, और कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ के सान्निध्य हुए इस समारोह की शुरूआत में ब्रज भाषा अकादमी के दो पूर्व अध्यक्ष हीरा लाल शर्मा और कृष्ण चंद गोस्वामी तथा दो पूर्व सचिव नाथू लाल महावर और विट्ठल पारीक को ब्रज भाषा सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ बी. डी कल्ला तथा गायित्री राठौर ने चारों विभूतियों को शाॅल स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
सुर, लय, ताल और भावों के अनूठे संगम से सराबोर इस समारोह का संचालन अनिल गोयल ने किया तथा डाॅ. सीताभ शर्मा ने आभार व्यक्त किया।