महर्षि अरविंद के जीवन चरित्र पर आधारित तीन दिवसीय प्रदर्शनी जवाहर कला केंद्र में

जयपुर। अरविंदो सोसायटी द्वारा महर्षि अरविंद के जीवन चरित्र पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। आयोजन जवाहर कला केंद्र के सुकृति दीर्घा में किया गया। केंद्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने श्रीअरविन्द के जीवन चरित्र पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। साथ ही उन्होंने सेलेक्शंस फ्रॉम दी  कम्पलीट वर्क्स ऑफ़ श्री ऑरोबिन्दो एंड दी मदर तीन खण्डों में व द ग्रेटनेस ऑफ़ इंडियन कल्चर एंड सनातन धर्म पुस्तकों का विमोचन किया। 
आपको बता दे कि महर्षि अरविन्द की 150 वी जयंतीवा वर्ष हैं। इस अवसर पर चित्रकला प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।
श्रीअरविन्द सोसायटी जयपुर केंद्र के अध्यक्ष ए के सिंह ने बताया कि प्रताप सिंह खाचरियावास केबिनेट मंत्री, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग और उपभोक्ता मामले विभाग, राजस्थान सरकार ने  श्रीअरविन्द जीवन चरित्र पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।  केबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने प्रदर्शनी  की प्रशंषा करते हुए कहा कि  ऐसी प्रदर्शनीया श्री अरविन्द को समझने में बहुत उपयोगी साबित होंगी। 
 सोसायटी  के अध्यक्ष ए के सिंह ने बताया कि श्रीअरविन्द जीवन चरित्र पर आधारित प्रदर्शनी का आयोजन तीन दिन चलेगा।जवाहर कला केन्द्र के सुकृति दीर्घा में प्रदर्शित की जा रही है।
 उन्होंने आगे बताया कि युवाओं के लिये इंटरेक्टिव मेडिटिटेटिव आर्ट पर रागिनी चन्द्रेठिया द्वारा विशेष सत्र भी रखा गया है।

उन्होंने बताया कि उत्तरयोगी श्रीअरविन्द का यह नाम श्रीअरविन्द को तमिल के प्रसिद्ध योगी की भविष्यवाणी के आधार पर दिया गया है। दक्षिण के प्रसिद्ध योगी नगाईजप्ता ने यह भविष्यवाणी की थी कि तीस वर्ष बाद उत्तर से एक योगी दक्षिण में आयेगा और यहां दक्षिण में पूर्ण योग का अभ्यास करेगा। उन्होंने उस योगी की पहचान कर सकने के लिये लक्षण के रूप में तीन वचन (पागलपन) कहें। वे तीनों श्रीअरविन्द के उनकी पत्नि के नाम पत्रों में पाये जाते है। वे तीन पागलपन थे 1. श्रीअरविन्द द्वारा यह लिखा कि उनकी समस्त योग्यता ईश्वर की देन है और येयोग्यता केवल राष्ट्र के लिये है। 2. ईश्वर की खोज 3. भारत को स्वतंत्र कराने का लक्ष्य।

 उन्होंने आगे बताया कि श्री अरविन्द दो बार जेल गए थे। जेल कारावास की कहानियां भी पुस्तक के रूप में युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।

 अलीपुर बम काण्ड मुकदमे की पैरवी करते हुए सी.आर. दास ने कहा ‘‘इसविवाद के शान्त हो जाने के बाद, इस संसार से इनके चले जाने के बहुत बाद, उन्हें देशभक्ति के कवि, राष्ट्रवाद के पैगम्बर तथा मानवता के प्रेमी के रूप में याद किया जायेगा। उनकी वाणी न केवल भारत में बल्कि सुदूर सागरों तथा देशों के पार भी ध्वनित और प्रतिध्वनित होती रहेगी। इसलिए मैं कहता हूँ कि यह व्यक्ति न केवल इस न्यायालय के कानून के सामने बल्कि इतिहास के उच्च न्यायालय के सामने खड़ा है।’’ 

श्रीअरविन्द का 15 अगस्त का भाषण आज भी प्रासंगिक .पांच संकल्पों के बारे में बताते है 1. भारत विभाजन का विरोध 2. एशिया का उत्थान 3. संयुक्त राष्ट्र की भूमिका 4. भारत का विश्व को अध्यात्मिक देन 5. विकास क्रम की प्रक्रिया में योग की महत्वपूर्ण भूमिका जिसमें भारत की अग्रणीय भूमिका अपेक्षित होगी।
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