14 साल की बालिका आशिता ने किया माउंट एवरेस्ट बेस कैंप को फतह
अजय नागर।
जयपुर/दौसा। रंगोली गार्डन, जयपुर की रहने वाली 14 साल की आशिता सिंघल ने एमजीडी स्कूल में 10वीं में पढ़ाई की हैं। आशिता ने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेकिंग के इस साहसिक कार्य को अंजाम दिया हैं।  वह निश्चित रूप से न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत में सबसे कम उम्र की लड़कियों में से एक है।  यह आश्चर्य की बात नहीं है कि वह ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की जयपुर या राजस्थानी लड़की हैं।
आप को बता दे कि ट्रेक की शुरुआत नेपाल के लुकला गांव से हुई। जो कि समुद्र तल से 2860 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। एवरेस्ट बेस कैंप समुद्र तल से 5364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने के लिए हर दिन 6-8 घंटे यात्रा करनी होती हैं। इसमें लगभग 8-12 किलोमीटर की ट्रेकिंग कर पाते हैं। बेस कैंप पहुचने में 9 दिन लगे। बेस कैंप में कदम रखना भावनात्मक क्षण था। आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। आशिता ने बेस कैंप पहुंच कर तिरंगा फहराया। राष्ट्रगान "जन गण मन..." गाया। 

अधिक ऊँचाई के कारण बहुत सारी चुनौतियाँ थीं। आशिता ने मानसिक संतुलन बनाए रखा। चुनोतियाँ का सामना करते हुए बेस कैंप फतह किया। इसकी तैयारी में करीब 6-8 हफ्ते का वक्त लगा।  2010 में भारत के सबसे कम उम्र के माउंट एवरेस्ट पीक जमाकर्ता अर्जुन वाजपेयी ने उनका मार्गदर्शन किया। अप्रैल 2019 में माउंट एवरेस्ट पीक जमा करने वाले पार्थ उपाध्याय ने बेस कैंप तक समूह का नेतृत्व किया।

आशिता इस रोमांचिक एवं साहसिक यात्रा के माध्यम से सभी पाठकों को एक संदेश देना चाहती हैं। पहाड़ और ट्रेकिंग हमें धैर्य, निरंतरता और निष्पक्षता जैसे जीवन के बहुत सारे पाठ सिखाते हैं। भारत की लड़कियों को 8000 मीटर ऊंची चोटियों को जमा करने की चुनौती लेनी चाहिए। पर्वतारोहण की दुनिया में भारत का परचम फहराना चाहिए।
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