परिवारों में परम्परा बन रहा है,नेत्रदान
बेटे व भाइयों की सहमति से सम्पन्न हुआ नेत्रदान
एक वर्ष पहले अपने भांजे अभय जैन,व बहु साधना जैन का बीते माह जनवरी में नेत्रदान का कार्य सम्पन्न करवाने वाले 65 वर्षीय विज्ञान नगर निवासी रमेश चन्द डड्डा का आज सुबह घर पर ही अचानक हृदयगति रुक जाने के उपरांत निधन हो गया ।
रमेश जी के तीनों भाई प्रेमचंद,राजेन्द्र व कैलाश काफ़ी समय से शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ नेत्रदान अंगदान अभियान में जुड़े हुए है । परिवार के सभी छोटे-बढ़े सदस्यों में नेत्रदान के प्रति अच्छी जागरूकता है ।
रमेश जी व परिवार के 20 से अधिक सदस्य देव स्थल बटावदा के भैरु जी के यहाँ जाने के लिये तैयार थे,रमेश जी भी सुबह 5 बज़े जागकर अपने नित्य कर्म से निवृत्त होकर,पाठ-पूजा करने के बाद तैयार हो रहे थे की,अचानक हृदयगति रुकने से उन्होंने देह त्याग दी ।
रमेश जी का पार्थिव शव अस्पताल से लाते ही,सभी ने घर में नेत्रदान के विषय पर एक दूसरे की राय ली,उनकी पत्नी सुभद्रा, बेटे दीपक,व बेटियाँ एकता,अनिता, सुनीता ने भी नेत्रदान के लिये अपनी सहमति दे दी । उसके बाद सुबह 6 बज़े ही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क किया गया । टीम के सदस्य आधे घंटे में विज्ञान नगर स्थित उनके निवास पर आ पहुँचे,परिवार के सभी सदस्य,क्योंकि देव स्थल जाने वाले थे,तो वह सब भी इस शोक की घड़ी में तुरंत विज्ञान नगर आ पहुँचे । घर की सभी महिलाओं ,बुजुर्गों व नाती-पोतों के बीच आई बैंक सोसायटी के तकनीशियन व सहयोगी संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से नेत्रदान की प्रक्रिया सम्पन्न हुई ।
रमेश जी कोटा के,बी क्लास के सिविल कॉन्ट्रेक्टर रहे है,इसके साथ ही वह विज्ञान नगर जैन स्वाध्याय संस्थान के संस्थापक भी रहे है ।
राजेन्द्र जी का कहना है की,हमारे परिवार में नेत्रदान एक परंपरा बन चुका है । घर के छोटे-छोटे बच्चों को भी समझाया जा चुका है की,जब भी शोक की घड़ी आती है तब नेत्रदान करवाने का काम हमेशा याद रखना ।